तेरे हर्फ़-हर्फ़ को कई बार पढ़ा है मैंने , तेरी हर बात को सुना है बार-बार
कई बार तेरे जाने के बाद भी देर तक की हैं तुझसे कई बातें
कि कुछ देर और रुकते तुम तो ये भी कहती तुमसे और वो भी...
बचपन का वो खिलौना जो अब तक संभाल रखा है , वो दिखाती
तब की शरारतें और अब की मुसीबतें सब सुनाती
बताती कब पापा से पहली दफा झूठ बोला था
मन न लगे तो वो जो एक गाना सुनती हूँ ना हमेशा , तुम्हें वो भी सुनाती
कल क्या stupid सपना देखा फिर से ,वो बतलाती
किताबों के हाशिए में कभी - कभार लिख देती हूँ जो सब
अपनी इकलौती diary पढ़ाती
Jenny की तस्वीर दिखाती तुम्हें
तुम्हें भी लगता है क्या ऐसा
की second की सुई की आवाज़ कुछ तेज़ सी हो जाती है
कसम से , सूइयाँ कुछ तेज़ चल पड़ती हैं तुम होते हो तो
तेरे जाने से पहले तेरे जाने का वक़्त आ खड़ा होता है
कई बार बिना तेरे भी बातें की हैं तुझसे
औरों ने जब भी बेबात मुस्काते देखा है
आईने ने कभी बेवजह इतराते देखा है
हर बार किसी ख्याल के रस्ते तुम्हें ही तो पास आते देखा है
कुछ इसी तरह जिया है तुझे , बिना तेरे
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